जलदूत ट्रेन से शहर को पेयजल पहुंचाने वाला एक शहर लातूर | Project 27 | Latur<br /><br />Positive 2 की #KnowAboutMuslimAreas सीरीज़ की छब्बीसवीं कड़ी: लातूर #Latur<br /><br />Positive 2: आप लोगों को याद है 2016 का अप्रैल महीना, जब पूरा महाराष्ट्र भयानक सूखे से ग्रस्त था खास तौर पर मराठवाड़ा क्षेत्र, तब रेलवे ने पानी से भरी ‘जलदूत’ ट्रेन के जरिए एक शहर को पेयजल पहुंचाया था उसका नाम था लातूर; आज हम उसी लातूर के बारे में जानने कोशिश करेंगे। 1948 से पहले, निजाम के तहत हैदराबाद राज्य का हिस्सा रहा लातूर कई ऐतिहासिक स्मारकों से घिरा हुआ एक पर्यटन केंद्र है, जिसमें उदगीर किला और खरोसा गुफाएँ शामिल हैं।<br /><br />भारतीय स्वतंत्रता और भारतीय संघ के साथ हैदराबाद के विलय के बाद, उस्मानाबाद बॉम्बे प्रांत का हिस्सा बन गया। 1960 में, महाराष्ट्र के निर्माण के साथ, लातूर इसके जिलों में से एक बन गया। 16 अगस्त 1982 को, एक अलग लातूर जिले को उस्मानाबाद जिले से बाहर किया गया था। लातूर जिला 7157 sq km में फैला हुआ है जिसकी आबादी 24.5 लाख से ज्यादा है जिसमें से लगभग 15 फीसद आबादी मुस्लिम है। लातूर जिले में विधानसभा की 6 सीटें और लोकसभा की 2 सीट है।<br /><br />जहाँ तक सियासत की बात करें तो लातूर 2 बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे विलासराव देशमुख की वजह प्रदेश की राजनीति में मशहूर है। Literacy और Child Sex Ratio के मामले में लातूर एवरेज है। कनेक्टिविटी के मामले में लातूर सड़क, रेल और हवाई मार्गों से पूरे महाराष्ट्र और भारत से अच्छे से जुड़ा हुआ है। लातूर माध्यमिक, उच्च माध्यमिक और विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए एक शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है।<br /><br />हैदराबाद के निज़ामों के समय में लातूर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गया। यह एक औद्योगिक केंद्र होने के साथ-साथ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था भी है। लातूर मराठवाड़ा का उभरता हुआ औद्योगिक हब बन गया है। यह शहर देश में सोयाबीन का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र है। लातूर भारत के उन गिने चुने शहरों में से है जहाँ से मुस्लिम आरक्षण की आवाज़ बहुत जोर से उठती रही है । <br /><br />साल 1993 सिर्फ मुंबई धमाकों के लिये ही नहीं बल्कि एक भयानक कुदरती आफ़त के लिये भी याद रखा जाता है। इस साल 30 सितंबर को एक भयानक भूकंप आया था जिसमें खराब निर्माण के कारण 30,000 से अधिक लोगों की मौत होने का अनुमान लगाया जाता है। सरकारों की नाकामी की वजह से सूखे की मार झेलना शायद अब लातूर वासियों की किस्मत बन गया है इसके अलावा….<br /><br />बाकी सब खैरियत है!!!<br />Ansar Imran SR<br /><br />नफ़रतों से दूर समाज की पॉज़िटिव स्टोरीज़ को देखते रहने के लिये हमारे चैनल को पसंद करते रहें: